Know history about World press freedom day

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Publish Date:Thu, 03 May 2018 02:47 PM (IST)



नई दिल्ली (जेएनएन)। कलम का सिपाही कहे या फिर कलम की धार से सत्ता को हिलाने का दम रखने वाला योद्धा या लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का रक्षक...सीधे शब्दों में कहा जाए तो पत्रकार। दुनिया के किसी भी देश के उदय और उसकी प्रगति में पत्रकारों की अहम भूमिका रही है। भारत की आजादी के वक्त भी पत्रकारों ने महत्वपूर्ण किरदार अदा किया है, जिसे आज भी भुलाया नहीं जा सकता। साथ ही समाज में जाति-धर्म और संप्रदाय की गहरी खाई को भी कई बार पत्रकारों ने भरने का काम किया है। हालांकि समाज में पत्रकारों की स्वतंत्रता को कैद करने वालों की भी कमी नहीं है। जिस कारण प्रेस की स्वतंत्रता की मांग उठी और प्रत्येक वर्ष 3 मई को अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाने लगा। इसकी शुरुआत 1993 में हुई थी, जिसका मकसद था दुनियाभर में स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करना और उसकी रक्षा करना। प्रेस किसी भी समाज का आइना होता है। प्रेस की आजादी से यह बात साबित होती है कि उस देश में अभिव्यक्ति की कितनी स्वतंत्रता है। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में प्रेस की स्वतंत्रता एक मौलिक जरूरत है।


स्वतंत्र प्रेस मतलब मजबूत लोकतंत्र



विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा, 'स्वतंत्र प्रेस एक मजबूत लोकतंत्र बनाता है। आज विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हम एक स्वतंत्र प्रेस का समर्थन करने के लिए हमारी वचनबद्धता दर्शाए। यह विचारों और मानव अभिव्यक्ति की बहुलता है जो हमें समाज के रूप में अधिक जीवंत बनाता है।' उन्होंने आगे कहा कि मैं उन सभी लोगों की प्रशंसा करता हूं जो प्रेस की आजादी को बरकरार रखने के लिए काम कर रहे हैं।



अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस की शुरुआत



यूनेस्को की जनरल कॉन्फ्रेंस के सुझाव के बाद 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसकी शुरुआत की, जिसके बाद से हर साल 3 मई को अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाने लगा। यूनेस्को महासम्मेलन के 26वें सत्र में इससे संबंधित प्रस्ताव को स्वीकार किया गया था। इससे पहले नामीबिया में विंडहोक में हुए एक सम्मेलन में इस बात पर जोर दिया गया था कि प्रेस की आजादी को मुख्य रूप से बहुवाद और जनसंचार की आजादी की जरूरत के रूप में देखा जाना चाहिए।


संवाददाताओं को श्रद्धांजलि देने का दिन


'अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस' प्रेस की स्वतंत्रता का मूल्यांकन, प्रेस की स्वतंत्रता पर बाहरी तत्वों के हमले से बचाव और प्रेस की सेवा करते हुए दिवंगत हुए पत्रकारों को श्रद्धांजलि देने का दिन है। आज उन पत्रकारों को याद किया गया, जिन्होंने अपना फर्ज निभाते हुए जान तक दे दी, लेकिन लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की गरिमा को मरते दम तक निभाया। 


मीडिया की स्वंतत्रता को लेकर चिंता


गौरतलब है कि बीते कुछ वक्त से पत्रकारों पर हमलों के मामलों में वृद्धि देखी गई है, जिस कारण मीडिया की स्वतंत्रता पर सवाल उठने लगे हैं। मीडिया वॉचडाग 'द हूट’ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दुनियाभर में पत्रकारों की आवाज को दबाया और कुचला जा रहा है और उसे लगातार निशाना बनाया जा रहा है। विश्व में पत्रकारों के हत्याओं के मामले में 57 फीसद वृद्धि हुई हैं। इन लगातार हमलों से मीडियाकर्मियों और पत्रकारों में भय का माहौल बनाया जा रहा है। पत्रकारों पर हमले के मामलों में अफगानिस्तान सबसे ऊपर है।


By Nancy Bajpai




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Know history about World press freedom day Know history about World press freedom day Reviewed by Google Pustak on May 03, 2018 Rating: 5

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